1).
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उजाले तेरी यादों के अपनी आँखों में समाये,
इस सफ़र में दिये तेरी यादों के जलाये
चले आये है तेरे शहर से बहुत दूर अब,
क्या फर्क पड़ता है इधर जाएँ या उधर जाएँ
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2).
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कोई कहता है की हम यहाँ मंदिर बनायेंगे,
कोई कहता है की हम यहाँ मस्जिद बनायेंगे
अरे मंदिर और मस्जिद तो पहले ही था मेरा देश,
ये तुले है कि ये इसे जहन्नुम बनायेंगे
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-अभिषेक
3 comments:
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है....(जय भारत.)
प्रथम स्वतंत्रता दिवस से जुडी कुछ दुर्लभतम तस्वीरें तथा विडियो
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई. लिखते रहें
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