Meri aawaj
Sunday, October 31, 2010
Wednesday, October 13, 2010
कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
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कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
जाते है अपने छोड़ के पराये नहीं जाते
जो मिले हो मोहब्बत की सक्त राहों में
जो मिले हो मोहब्बत की सक्त राहों में
जख्म ऐसे ज़माने को दिखाए नहीं जाते
जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
अश्क ऐसे पलकों पे लाये नहीं जाते
जो जख्म उनको दे और दर्द तुमको
तीर ऐसे बातों के चलाये नहीं जाते
जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जाते
जो टूटते है टकराके हकीकत से
ख्वाब ऐसे फिर सजाये नहीं जाते
हीर राँझा तो गुज़ारा हुआ जमाना है
जो जख्म उनको दे और दर्द तुमको
तीर ऐसे बातों के चलाये नहीं जाते
जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जाते
जो टूटते है टकराके हकीकत से
ख्वाब ऐसे फिर सजाये नहीं जाते
हीर राँझा तो गुज़ारा हुआ जमाना है
आशिक ऐसे इस ज़माने में पाए नहीं जाते
-अभिषेक "अनन्त"
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-अभिषेक "अनन्त"
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Saturday, October 9, 2010
जगह जगह मौत का सामान बिकता है
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जगह जगह मौत का सामान बिकता है
ये कलयुग है यहाँ इंसान बिकता है
बेटे कहाँ होते है ऐसे आज कल
जिनको माँ बाप में भगवान दिखता है
इंसान इंसान को है क़त्ल कर रहा
इंसान की शक्ल में हैवान दिखता है
आके आपनी आगोस में छुपाले मुझे माँ
देख तेरे बेटे का इमान बिकता है
रुपया पैसा मंदिरों में चड़ा रहे है लोग
कागज के टुकडों में क्या भगवान बिकता है
बहुत दूर आगया तू चन्द सिक्को की खातिर
संभल "अनंत" तेरा अरमान बिकता है
-अभिषेक "अनन्त"
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जगह जगह मौत का सामान बिकता है
ये कलयुग है यहाँ इंसान बिकता है
बेटे कहाँ होते है ऐसे आज कल
जिनको माँ बाप में भगवान दिखता है
इंसान इंसान को है क़त्ल कर रहा
इंसान की शक्ल में हैवान दिखता है
आके आपनी आगोस में छुपाले मुझे माँ
देख तेरे बेटे का इमान बिकता है
रुपया पैसा मंदिरों में चड़ा रहे है लोग
कागज के टुकडों में क्या भगवान बिकता है
बहुत दूर आगया तू चन्द सिक्को की खातिर
संभल "अनंत" तेरा अरमान बिकता है
-अभिषेक "अनन्त"
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