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मेरा दिल आरजूओं की फटी पोटली है
जिसे मैं वक्त के धागे से सीता जा रहा हूँ
जब मैं इसे निकाल कर खूंटे पे टाँगता हूँ
तो देखता हूँ आरजूओं को इससे टपकते हुए
आरजूएं कुछ ज़माने से घबराती हुई
आरजूएं कुछ अपने आप पे इतराती हुई
गौर से देखता हूँ तो ये महसूस होता है
की दरअसल ये एक दूसरे से जुडी हुई है
कुछ आरजूएं तो अजीब सी लगती है
लगता है मेरी नहीं किसी और की है
कुछ जवान है और उमंग से भरी हुई है
कुछ बूढी है और झुझलाई सी है
मैं जैसे खो ही गया था इनको देखकर
कि तभी एक हारी-थकी मेरे पास आई
बोली तुम मुझे कब पूरा करोगे
मैं बहुत थकी हूँ इन में सबसे बड़ी हूँ
मैं उसे समझा ही रहा था कि तभी
दूसरी ने मुझे जोर से झझोरा
तीसरी ने मुझे धमकाया
और फिर देखते ही देखते सब
एक साथ मुझ पर टूट पड़ी
मैं घबरा गया और सबको बटोरा
पोटरी में बांध कर ज्यों का त्यों रख दिया
-अभिषेक
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मेरा दिल आरजूओं की फटी पोटली है
जिसे मैं वक्त के धागे से सीता जा रहा हूँ
जब मैं इसे निकाल कर खूंटे पे टाँगता हूँ
तो देखता हूँ आरजूओं को इससे टपकते हुए
आरजूएं कुछ ज़माने से घबराती हुई
आरजूएं कुछ अपने आप पे इतराती हुई
गौर से देखता हूँ तो ये महसूस होता है
की दरअसल ये एक दूसरे से जुडी हुई है
कुछ आरजूएं तो अजीब सी लगती है
लगता है मेरी नहीं किसी और की है
कुछ जवान है और उमंग से भरी हुई है
कुछ बूढी है और झुझलाई सी है
मैं जैसे खो ही गया था इनको देखकर
कि तभी एक हारी-थकी मेरे पास आई
बोली तुम मुझे कब पूरा करोगे
मैं बहुत थकी हूँ इन में सबसे बड़ी हूँ
मैं उसे समझा ही रहा था कि तभी
दूसरी ने मुझे जोर से झझोरा
तीसरी ने मुझे धमकाया
और फिर देखते ही देखते सब
एक साथ मुझ पर टूट पड़ी
मैं घबरा गया और सबको बटोरा
पोटरी में बांध कर ज्यों का त्यों रख दिया
-अभिषेक
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