इतने दर्द सहे है कि हर ख़ुशी अजनबी सी लगती है
चल रहा हूँ पर जिंदगी तेरी नब्ज थमी सी लगती है
प्यार दो और प्यार लो ये दस्तूर था कभी दुनियां में
पर इस ज़माने में ये बातें एक कहानी सी लगती है
अब आदमी आदमी से नफरत कर रहा है यहाँ
हर आदमी में आदमियत की कमी सी लगती है
हम हँसें तो वो हँस दियें हम रोये तो वो रो दियें
कहाँ गए वो दोस्त उन दोस्तों की कमी सी लगती है
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-अभिषेक
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-अभिषेक