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एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे
मस्त थे मद की मस्तानी में चूर थे
खोये रहते थे रात दिन किसी के ख्यालों में
किसी की नशीली आँखों के नूर थे
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे
अब आँख खुली तो जाना प्यार क्या होता है
वरना पहले तो आँखों के होते हुए भी सूर थे
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे
बहुत दूर था काफिला मेरा मंजिले मुहब्बत से
प्यार तो छोडो प्यार की एक बूँद से भी दूर थे
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे
अब नहीं रही शानो शौकत हमारी तो जाना है
क्यों हम उनके लिए कभी कोयले में कोहनूर थे
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे
नाम लेकर निकालते है अब अपनी महफ़िल से
वो जिनके लिए हम कभी उनके प्यारे हुज़ूर थे
एक दिन वोह थे जब हम भी मशहूर थे
मस्त थे मद की मस्तानी में चूर थे
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-अभिषेक
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