Meri aawaj

Meri aawaj

Sunday, November 28, 2010

कैसी इस सफ़र की शुरुवात

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कैसी इस सफ़र की शुरुवात की है मैंने
दुश्मनों के शहर में हर रात की है मैंने

किया है खून उसने मेरे अमनो-पहल का
जब भी रकीब से प्यार की बात की है मैंने

चमक उठती है सोते में पलके ये हमारी
ख्वाबों में जब उससे मुलाकात की है मैंने

आंसू नहीं बचे जब रो-रो के रात-दिन
तब आँखों से खून की बरसात की है मैंने

उसकी यादों का तीर जब सीने पे लगा है
तब एक नई ग़ज़ल की शुरुवात की है मैंने

-अभिषेक
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3 comments:

Sunil Kumar said...

har sher khubsurat ddad ki kabil mubarak ho

Sunil Kumar said...

har sher khubsurat ddad ki kabil mubarak ho

RockStar said...

nice really heart touch feelings,