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कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
जाते है अपने छोड़ के पराये नहीं जाते
जो मिले हो मोहब्बत की सक्त राहों में
जो मिले हो मोहब्बत की सक्त राहों में
जख्म ऐसे ज़माने को दिखाए नहीं जाते
जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
अश्क ऐसे पलकों पे लाये नहीं जाते
जो जख्म उनको दे और दर्द तुमको
तीर ऐसे बातों के चलाये नहीं जाते
जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जाते
जो टूटते है टकराके हकीकत से
ख्वाब ऐसे फिर सजाये नहीं जाते
हीर राँझा तो गुज़ारा हुआ जमाना है
जो जख्म उनको दे और दर्द तुमको
तीर ऐसे बातों के चलाये नहीं जाते
जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जाते
जो टूटते है टकराके हकीकत से
ख्वाब ऐसे फिर सजाये नहीं जाते
हीर राँझा तो गुज़ारा हुआ जमाना है
आशिक ऐसे इस ज़माने में पाए नहीं जाते
-अभिषेक "अनन्त"
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-अभिषेक "अनन्त"
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5 comments:
बहुत खूब!!
जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जा
खुबसूरत शेर बधाई
सुन्दर रचना। बधाई।आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
अश्क ऐसे पलकों पे लाये नहीं जाते
बहुत खूब!!
बहुत ही अच्छी रचना ..दिल को छूती हुई ..
गीत ग़ज़ल पर पढ़े कैसा हो गया मेरा गांव
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