Meri aawaj

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Wednesday, October 13, 2010

कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते


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कुछ गम है जो कभी भुलाये नहीं जाते
जाते है अपने छोड़ के पराये नहीं जाते

जो मिले हो मोहब्बत की सक्त राहों में
जख्म ऐसे ज़माने को दिखाए नहीं जाते

जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
अश्क ऐसे पलकों पे लाये नहीं जाते

जो  जख्म उनको दे और दर्द तुमको
तीर ऐसे बातों के चलाये नहीं जाते

जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जाते

जो टूटते है टकराके हकीकत से 
ख्वाब ऐसे फिर सजाये नहीं जाते

हीर राँझा तो गुज़ारा हुआ जमाना है 
आशिक ऐसे इस ज़माने में पाए नहीं जाते

-अभिषेक "अनन्त"
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5 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!!

Sunil Kumar said...

जो बिगड़ते है शक की बातों से
रिश्ते ऐसे फिर बनाये नहीं जा
खुबसूरत शेर बधाई

VIJAY KUMAR VERMA said...

सुन्दर रचना। बधाई।आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।

VIJAY KUMAR VERMA said...

जो बयां करे ज़माने को उसकी रुसवाई
अश्क ऐसे पलकों पे लाये नहीं जाते

बहुत खूब!!

VIJAY KUMAR VERMA said...

बहुत ही अच्छी रचना ..दिल को छूती हुई ..
गीत ग़ज़ल पर पढ़े कैसा हो गया मेरा गांव