एक नजर में ही सबको तार देता है वो
रूह को फिर से एक नई धार देता है वो
सर झुकाओगे तो खुद को नया पाओगे
बिगड़ी हुई किस्मत यूँ सवांर देता है वो
फैली झोली में खुशियाँ अपार देता है वो
मंदिर और मस्जिद दोनों ही घर है उसके
हर मझहब को बराबर का प्यार देता है वो
-अभिषेक
3 comments:
very nice bhai
Sadhuwad Hai....
Sadhuwad Hai....
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