Meri aawaj

Meri aawaj

Thursday, February 24, 2011

एक नजर में ही सबको तार देता है वो

एक नजर में ही सबको तार देता है वो 
रूह को फिर से एक नई धार देता है वो

सर झुकाओगे तो खुद को नया पाओगे 
बिगड़ी हुई किस्मत यूँ सवांर देता है वो 

तेरे दामन में ग़र आंसू है तो जा वहां
फैली झोली में खुशियाँ अपार देता है वो

मंदिर और मस्जिद दोनों ही घर है उसके
हर मझहब को बराबर का प्यार देता है वो

-अभिषेक