Meri aawaj

Meri aawaj

Saturday, October 9, 2010

जगह जगह मौत का सामान बिकता है

===============================

जगह जगह मौत का सामान बिकता है
ये कलयुग है यहाँ इंसान बिकता है

बेटे कहाँ होते है ऐसे आज कल
जिनको माँ बाप में भगवान दिखता है

इंसान इंसान को है क़त्ल कर रहा
इंसान की शक्ल में हैवान दिखता है

आके आपनी आगोस में छुपाले मुझे माँ
देख तेरे बेटे का इमान बिकता है

रुपया पैसा मंदिरों में चड़ा रहे है लोग
कागज के टुकडों में क्या भगवान बिकता है

बहुत दूर आगया तू चन्द सिक्को की खातिर
संभल "अनंत" तेरा अरमान बिकता है

 -अभिषेक "अनन्त"
===============================

3 comments:

Sunil Kumar said...

बेटे कहाँ होते है ऐसे आज कल
जिनको माँ बाप में भगवान दिखता है
प्रश्न आपका मुश्किल नहीं है पर उत्तर बहुत मुश्किल से निकलता है , हर शेर सवा शेर ,बधाई

निर्मला कपिला said...

बेटे कहाँ होते है ऐसे आज कल
जिनको माँ बाप में भगवान दिखता है
बिलकुल सही कहा। पूरी रचना मे आज का सच। बधाई।

VIJAY KUMAR VERMA said...

रुपया पैसा मंदिरों में चड़ा रहे है लोग
कागज के टुकडों में क्या भगवान बिकता है
aapne bilkul sahee bat likhee hai..kash sab lig ise samajh pate..bahut hee sundar rachna